पहली बार दोस्त देश की जमीन से… मुनीर की परमाणु धमकी पर भारत ने दिया करारा जवाब"

पहली बार दोस्त देश की जमीन से… मुनीर की परमाणु धमकी पर भारत ने दिया करारा जवाब"


 

Asim Munir के बयान पर दिल्ली का जवाब — 'न्यूक्लियर सबर-रैटलिंग'

Asim Munir के अमेरिका भाषण के बाद दिल्ली का तीखा रुख — कहा: ‘न्यूक्लियर सबर-रैटलिंग’

किसने क्या कहा — घटनाक्रम संक्षेप में

पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ Field Marshal Asim Munir ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान कश्मीर और रणनीतिक मुद्दों पर कठोर टिप्पणी की। उनके कथित बयान के अनुसार उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु होने का हवाला देते हुए कहा कि "हम एक न्यूक्लियर राष्ट्र हैं; अगर हमें लगे कि हम जा रहे हैं, तो हम आधे संसार को नीचे ले जाएंगे" जैसी रिपोर्टिंग आई।[1]

दिल्ली की प्रतिक्रिया

भारत की विदेश मंत्रालय (MEA) और आधिकारिक सूत्रों ने इन टिप्पणियों की निंदा की और उन्हें "न्यूक्लियर सबर-रैटलिंग" करार दिया। दिल्ली का कहना रहा कि ऐसे वक्तव्य न सिर्फ़ खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि इससे क्षेत्रीय शांति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।[2]

MEA (सार): "न्यूक्लियर सबर-रैटलिंग पाकिस्तान की रोज़मर्रा की रणनीति रही है" — और इस तरह के बयानों से परमाणु कमांड व नियंत्रण की पारदर्शिता पर भी सवाल उठते हैं।[3]

पाकिस्तान का रुख

पाकिस्तान की तरफ़ से कहा गया कि उनका परमाणु नीतिगत ढाँचा नागरिक नियंत्रण और जिम्मेदारी के सिद्धांत के अधीन है और पाकिस्तान एक जिम्मेदार न्यूक्लियर राज्य है। साथ ही कुछ मीडिया रिपोर्ताज में बताया गया कि Munir ने कश्मीर को "अपूर्ण अंतरराष्ट्रीय एजेंडा" बताया और इंदस जल-संसाधनों पर भी सख्त बोल बाँधे।[1][4]

यह टिप्पणी क्यों संवेदनशील है — पृष्ठभूमि

यह विकास उस पृष्ठभूमि में आया है जब पिछले कुछ महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच कशमीर और सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ रहा है। इस साल के मध्य में हुई हिंसा और विशेषकर कुछ संवेदनशील घटनाओं ने दोनों तरफ़ की संवेधानिक और सुरक्षा-सम्बन्धी चिंताओं को बढ़ाया है। ऐसे समय में किसी शीर्ष सैन्य नेतृ के द्वारा सार्वजनिक रूप से परमाणु क्षमता का ज़िक्र और धमकी भरे संकेतों को तूल मिलना वैश्विक चिंता का विषय बन जाता है।[1]

अंतरराष्ट्रीय और रणनीतिक निहितार्थ

  • यदि उच्चस्तरीय सैन्य नेतृत्व किसी तीसरे देश के मंच से कठोर परमाणु-संदेश देता है, तो इससे अमेरिका जैसी मेज़बान शक्ति के साथ भी द्विपक्षीय चर्चाओं में जटिलता आ सकती है।[4]
  • दिल्ली की प्रतिक्रिया इस बात को रेखांकित करती है कि भारत ऐसे बयानों को केवल अंदरूनी बयान के रूप में नहीं देखता, बल्कि वे क्षेत्रीय सुरक्षा और परमाणु स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।[2][3]
  • विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु-हार्डलाइनिंग से एस्केलेशन जोखिम बढ़ सकता है — खासकर तब जब किन्हीं घटनाओं के बाद 'इरेस्पॉन्सिबल' रेटिंग की बात की जाती है।[3]

क्या आगे हो सकता है?

संभावित परिदृश्यों में कूटनीतिक स्तर पर तीखे नोट और बयानबाज़ी से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के व्यवहार पर प्रश्न उठने तक के कदम शामिल हो सकते हैं। साथ ही, क्षेत्रीय शान्ति और तनाव-नियमन के लिए तीसरे देश (जैसे अमेरिका) की भूमिका और दखल भी प्रमुख बनेगा — खासकर यदि बयान वास्तविक कार्यक्रम में बोले गये शब्दों पर आधारित हैं या उनका स्वरूप मीडिया-सिंथेसिस है।[1][4]

निष्कर्ष

Asim Munir के अमेरिका में दिए गये कथित बयानों ने न सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान संबंधों में फिर से तनाव पैदा किया है, बल्कि परमाणु-स्थिरता, कमांड-ओवर-कंट्रोल और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी जैसी गंभीर सुरक्षा चर्चाओं को भी जिंदा कर दिया है। ऐसी परिस्‍थितियों में कूटनीति, स्पष्टता और जिम्मेदार वक्तव्य सबसे ज़रूरी उपकरण बन जाते हैं — वरना गलती या अतिशयोक्ति किसी भी समय अनियंत्रित एस्केलेशन का सुअवसर दे सकती है।

नोट: ऊपर की रिपोर्टिंग विभिन्न समाचार एजेंसियों की ताज़ा रिपोर्ट्स पर आधारित है — अनुमानित उद्धरण और घटनाक्रम मीडिया स्रोतों के सार के आधार पर संकलित किए गए हैं। नीचे स्रोत देखें।

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